बढ़ा के एक कदम...
ग़ज़ल
बढ़ा के एक क़दम और दरिया पार होगा नहीं..
इश्क़ कर बैठे है हम..
अब प्यार होगा नहीं..
कल कहता है कल मै ही ठहर जाये हम..
जो चेहरा नज़र मै है...
वो चेहरा नज़र अंदाज़ होगा नहीं...
बढ़ा के एक कदम और दरिया पार होगा नहीं...
इश्क़ कर बैठे है हम....
अब प्यार होगा नहीं...
क़ैद है हर लम्हे का तस्ववुर निगाहों मै हमारे..
अब नये लम्हो का आगाज़ होगा नहीं...
उंगलियों पर गिना था मैंने खुशियों को उसकी..
अब ये दिल कभी खुशमिजाज होगा नहीं..
शोर मचा दिया था मेरे इश्क़ ने सारे जहान मै.
अब ख़ामोशी से भी मेरी इज़हार होगा नहीं...
बढ़ा के एक क़दम और अब दरिया पार होगा नहीं..
फ़िज़ा ✍️✍️
Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
29-Sep-2021 08:37 PM
Wah wah
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Miss Lipsa
27-Sep-2021 06:36 PM
Waah
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